प्यारे बच्चों इससे पहले भी मैंने कई बाते बताई है उम्मीद है तुम सब कुछ लाभ अवश्य उठा रहे होगे , मुझे बड़ी खुशी होगी यदि मै तुम मे से किसी एक को भी लाभान्वित करा पाने मे सक्षम रहती हूँ ।
इतिहास इस बात का साक्षी है की जो कर्मवीर अपने पथ पर बढ़ता गया है ,जिसने विपदाओं का सामना किया है , संकट की ऊंची घाटियों को लांघने का प्रयास किया है , उसे ही ऊंचे से ऊंचा यश और सम्मान मिला है । तुम्हारी मंजिल मे निर्धनता ही सबसे पहली रुकावट है , जिसके नीचे सारा भारत कराह रहा है ; किन्तु क्या यह निर्धनता तुम्हारा मार्ग रोक सकेगी ? कदापि नहीं । अगर तुम्हारा मनोबल दृढ़ है , अगर तुम्हारा साहस प्रबल है ,तो कोई बाधा तुम्हारे सामने टिक नहीं सकती । तुम्हें राह बताने के लिए अनेकों उदाहरण भरे पड़े है , जिनकी रह पर चल कर तुम भी अपने लक्ष्य को पा सकते हो और महान बन सकते हो ।
प्रसिद्ध अङ्ग्रेज़ी साहित्यकार गोल्ड स्मिथ कभी पैसे पैसे का मोहताज था और भिक्षाटन के द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता था , किन्तु उसका मनोबल और मस्तिष्क भिक्षुक नहीं था । अपनी साधना मे वह लगा रहा और एक दिन निर्धनता उसका मार्ग रोक नहीं पाई और वह एक महान साहित्यकार के रूप मे विख्यात हुआ ।
महान फर्गुसन एक गडेरिए का पुत्र था और बड़ी ही गरीबी के साथ जीवन यापन करता था । आगे चल कर वही फर्गुसन आकाश मे तारों की दूरी नाप सकने मे सफल निकला ।
आर्कराइट लोगों की हजामत बना कर अपना जीवन यापन करता था जो आगे चल कर रेल का आविष्कर्ता सिद्ध हुआ ।
शेक्सपियर , जिस पर अङ्ग्रेज़ी साहित्य को नाज है , कभी दर दर मारा फिरता था , किन्तु अपनी लगन और कर्तव्यनिष्ठा के कारण ही उसकी गणना यूरोप के सर्व श्रेष्ठ कवि एवं नाटक कार के रूप मे हुई ।
यही नहीं अपने देश मे भी कई ऐसी हस्तियाँ हुई है जिन्होने ये साबित कर दिखाया है की निर्धनता कभी भी कर्मवीरों का रास्ता नहीं रोक सकी है । लाल बहादुर शास्त्री जी, राजेंद्र प्रसाद जी , बाल गंगाधर तिलक जी का नाम हम प्रमुखता से ले सकते है ।
इसलिए बच्चों याद रखो निर्धनता किसी का भी रास्ता नहीं रोक सकती बस लगन और लालसा बलवती होनी चाहिए । अगली प्रस्तुति मे बात करेंगे लक्ष्य की ।
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