Thursday 20 December 2012

बिना उद्देश्य जीवन कैसा ! ( कुछ नव युवाओं से )





अन्नपूर्णा का ब्लाग
जीत हमारी है

प्रिय बच्चों पिछले  लेख मे मैंने जीवन मे आगे बढ्ने के लिए धन की उपयोगिता का मर्म समझाया था  कि धन अपने पथ पर अग्रसर होने के लिए कभी रुकावट नहीं होता है यदि आप मे काबिलियत और लगन है तो आप हर वो खुशी  पा सकते है जिसके आप हकदार है । काबिलियत के साथ उद्देश्य भी स्पष्ट होना चाहिए ।
 लक्ष्य रहित जीवन तो बिना पतवार  की नाव की तरह है जिसकी सफलता मे पूर्णतया संदेह है । लक्ष्य की स्थिरता ही कुशल सेना नायक की सफलता का कारण है ।

एक उदाहरण मे यह स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है कि लक्ष्य यदि स्पष्ट है तो आप उसकी प्राप्ति के लिए अथक प्रयास खुद ही करते है और उसे पा कर रहते है ।

 गैलीलियो आरंभ से ही गणित प्रेमी था ,किन्तु उसके पिता उसे डाक्टर बनाना चाहते थे । बालक गैलीलियो पिता की आँखों से बच कर  गणित शास्त्र के अद्ध्यन मे लगा रहा और एक दिन मात्र अट्ठारह वर्ष की आयु मे ही गिरिजाघर मे पेंडुलम का सिद्धान्त का आविष्कार किया । आगे चल कर दूरबीन की रचना कर विज्ञान जगत को एक नई दिशा दी । यदि  वह अपने निर्धारित लक्ष्य पर नहीं चलता तो वह कभी सफल नहीं होता ।

डिमस्थनीज की कहानी तो इससे भी ज्यादा रोचक है वह तो एक कुशल वक्ता बनना चाहता था लेकिन वह तुतला कर बोलता था ऐसे मे प्रख्यात वक्ता होना दूर की बात थी । लोग उसके इस लक्ष्य के विषय मे जानकार उसका मज़ाक उडाते थे , लेकिन उसका लक्ष्य स्पष्ट था उसे कुशल वक्ता बनना ही था इसके लिए उसने बड़ी मेहनत की । वह अपने मुंह मे ककड़ियाँ भरकर बोलने का प्रयास करता था और एक दिन वह अपने लक्ष्य मे सफल हुआ ।

माइकेल एंजेलो की कहानी भी गैलीलियो की तरह ही है । वह चित्र कला का प्रेमी था उसके पिता भी उसकी चित्रा कला के खिलाफ थे लेकिन उसकी लगन ने उसे विश्व प्रसिद्ध चित्र कार बना दिया।

यही सच है कि प्रत्येक व्यक्ति मे राष्ट्र निर्माता होने की शक्ति छुपी हुई है परंतु लक्ष्य निर्धारण के बिना सफलता संभव नहीं है ।

आज मै अक्सर देखती हूँ कि युवाओं के भटकते कदम उन्हे भटकाव की ओर ही ले जाते है ।

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