Sunday 30 December 2012

कुछ शब्द बेटियों से

प्यारी प्यारी छोटी एवं बड़ी सभी बेटियों को मेरा ढेर  सा प्यार  ,   कुछ शब्द तुम्हारे लिए ।

      

 तुम रचयिता हो ,तुम ही पालक तुम ही संहारक हो ।

क्यों नहीं है भान तुम्हें कि तुम अग्नि  की  भीषण लपट हो  ,

तुम क्रांति की आख्यायिका और जलती हुई अंगार हो ,

तुम शक्ति की प्रलय का रूप हो  और माँ का अंचल हो ।  

तुम तुम चंचला की द्युति चपल और तीखी प्रखर अधिसार हो ।

क्यों नहीं है भान तुम्हें कि तुम शक्ति का अतुल भंडार हो ,

तुम खौलती जल निधि लहर और गतिमय पवन उनचास हो ।

तुम कालिका का कोप और रुद्र  की  भ्रू -ल्लास हो, 

क्यों नहीं है भान तुम्हें कि तुम ममता  की रसधार  हो ,

तुम सृजन  की अधिष्ठात्री और प्रतिपालनहार हो।

तुम संरक्षक और संवर्धन मंडलाकार हो ,

तुम   त्याग मूर्ति और चिर अमर बलिदान हो ।

क्यों नहीं है भान तुम्हें कि तुम इतिहास और तुम्ही भविष्य रचनाकार हो ।




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